एक कविता लिखती हूं तुम्हारे लिए
एक कविता लिखती हूं चलो
तुम्हारे लिए
प्यार की बातें नहीं लिखूंगी
प्यार तुम कर लेना किसी और से,
खोयी हूं अपनों को
करके प्यार के इजहार
तुम अगर रहती है जिंदगी में मेरी
व भी क्या जीने के लिए कम !!
तुम नहीं है जिंदगी में मेरी
और ना कभी होगी
फर्क बहुत है तुममें हममें
फिर भी खुश हूं तुम्हारी एहसास से,
कभी-कभी हम खेलते थे गुनगुनाना
"हमें तुमसे प्यार कितना
ये हम नहीं जानते
मगर जी नहीं सकते
तुम्हारे बिना" __तुम गाते थे
झूठ थी मगर मैं खुश थी,
झूठ अगर इतनी खूबसूरत है
तो क्यों ना मैं अपनाउंगी!
दर्द भरी सच्चाई की
मुझे कोई जरूरत भी नहीं!
तुम खुश रहो ये दिल से चाहती हूं मैं
तुमसे प्यार है ये भी झुठ नहीं है
पर मैं तुम्हें कभी ढूंदूंगी नहीं
दिल की रिश्ता दिल में हीं रह जाना अच्छा है...
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